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नहाय खाय के साथ छठ व्रत आज से शुरू
नहाय-खाय के साथ आज से छठ शुरू हो गया। खरौना में में दीपावली के बाद से ही छठ पर्व के गीत ‘महिमा बा राऊर अपार हे छठी मईया.., उ जे कांचही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाये.., छठी मइया आइ दुअरिया.., कोपी-कोपी बोलले सूरज देव.., हाजीपुर के केलवा महंग भइले.., मोरा भईया जाइला.., उगी-उगी सूरज देव.., डारी-डारी चहके सुगवा..’ की स्वर लहरियां सुनाई दे रही हैं। शारदा सि्हा, देवी, अुराधा पौडवाल, कल्पा, अजीत कुमार अकेला, सजो बधेला व सी के गाये छठी मइया के गीत वातावरण में गुंजायमान हैं।
छठ पूजा में नियमों का साफ़-सफाई का होता है विशेष
गाँव के तमाम छठ पोखरों में आज से साफ़-सफाई का भी कार्य शुरू हो गया है. आपको मालूम ही होगा की छठ पर्व में नियमों का बड़ा ध्यान रखा जाता है और साफ़ सफाई को विशेष महत्त्व मिलता है. पर्व से पूर्व ही घर की साफ-सफाई, व्रतियों के लिए अलग से कमरा, अलग बिछाव, अलग बर्त का इंतजाम किया गया है। व्रतियों के कमरे में जूते-चप्पल पहनकर जाना सख्त मना है। आस्था का महापर्व छठ सोमवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो जाएगा। चार दिवसीय अनु ष्ठान के दूसरे दिन मंगलवार को छठव्रती खरना करेंगे। बुधवार को अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। गुरुवार की सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करे के साथ महापर्व संपन्न जाएगा।
साक्षात् देव हैं भगवान भास्कर
छठ महापर्व पर भगवा भास्कर की पूजा होती है। वे साक्षात् देव हैं, जो लोगों को सीधे दिखाई देते हैं। सूर्य की पूजा आदि काल से की जा रही है। आचार्य पण्डित विनोद झा वैदिक का कहा है कि सूर्य की पूजा का उल्लेख द्वापर काल से मिलता है। तभी से सूर्य पूजा की परंपरा चली आ रही है। देश व दुनिया में सूर्य की पूजा विभिन्न रूपों में की जाती है।