प्रणाम।
बिहार में चुनावी मंच सजने लगा है, और तभी चुपके से कोरोना के शोर को दबाया जा रहा है, सोशल डिस्टेंसिंग को भुलाया जा रहा है और हर रोज केंद्र से कुछ नए योजनाओं का घोषणा हो रहा है, जिसमें गांधी सेतु के पैरलल पुल, दरभंगा में AIIMS और अब IIM की घोषणा है। वहीं नीतीश कुमार वैशाली को रघुवंश के सपनों सा बनाने की बात कर रहे है पर ये भविष्य की बाते है, घोषणाएं है, जिसका हश्र सवा लाख करोड़ के पैकेज की तरह हो सकता है, इन वायदों का हाल मुजफ्फरपुर को बेचे गए “हवाईअड्डे के सपने” की तरह भी हो सकता है! आप पूछिये की स्मार्ट सिटी के घोषना बाद से शर्माजी का फायदा हुआ है या जनता का? विडम्बना यह है कि सत्ताधारियों को जैसे केंद्र में राहुल का सपोर्ट है वैसे ही बिहार में लालू के लालो का और तभी देश और राज्य में विकास की गंगा और गंडक बह रही है, जिसमे अब बिहार बहने लगा है!
ख़ैर पोस्ट का उद्देश्य आपको आज की एक घटना के बारे में बताना है जो हमारे पंचायत खरौना डीह में घटित हुई है। दरअसल आज माननीय विधायक श्री केदार गुप्ता जी ने अपने जनसम्पर्क कार्यक्रम के तहत ग्रामीणों से मिलने के लिए रामजानकी मठ पर एक बैठक बुलाई थी जहाँ गिने चुने लोग, जिनमे अधिकांश अनुभवी पोलिंग एजेंट थे और कुछ युवा जिनको सिस्टम से रोष है और जो अब अपने नेता से नाउम्मीद हो रहे है, मौजूद थे। यह मीटिंग वैसे तो मोनोलॉग ही होना था, बोले तो ‘मन की बात’ की तरह, जहाँ आप सिर्फ सुन सकते है पर इस मोनोलॉग को डायलॉग में बदलने का साहस किया स्थानीय युवा श्री सुमित कुमार ने, जिन्होंने माननीय से बड़ी शालीनता से किंतु एक कठिन प्रश्न पूछा कि आपने शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए कौन-कौन से प्रयास किये और इस मुद्दे पर क्या आपने कभी सदन में आवाज उठाई है? सुमित के इस प्रश्न का नेताजी ने तो कोई उत्तर नहीं दिया, और सवाल पूछे जाने के बाद भी इस चुप ही रहे और कहा कि आइये डेरा पर जवाब देंगे और फिर उनके माइक पकड़े कार्यकर्ता ने सुमित के आरोप को मान लिया और स्वीकारा कि मिडडे मिल में धांधली हो रही है और फिर चपलता के साथ उसने माननीय से आग्रह कर दिया कि वो इसके सुधार पे ध्यान दे!
तो कुल खबर ये है कि अब आपके प्रश्नों का जो नेता उत्तर देना भी उचित न समझे क्या आप उसके लिए झंडा ढोना उचित समझते है? क्या सुमित का प्रश्न उसके व्यक्तिगत लाभ का मसला था, जो वहाँ मौजूद अन्य महानुभावों ने विधायक जी से इसपर बोलने के लिए नहीं कहा? क्या किसी और को अपने नेता से कोई उम्मीद कोई प्रश्न नहीं था??
हो सकता है केदार गुप्ता जी आज अपना होमवर्क बिना किये ही जनसम्पर्क के लिए आ गए हो, तो क्या हम उम्मीद करे की अगली बार जब आप गाँव आएंगे तब, या फिर आपके कार्यकर्ता/ भावी पोलिंग एजेंट्स हमें बताएंगे कि
१. आपने कुढ़नी की समस्याएं, हमारी चिंताओं को कितनी बार विधानसभा में रखा, वो मुद्दे कौन थे?
२. बेरोजगारी दूर करने के लिए आपने और आपकी सरकार ने क्या पहल किया है कुढ़नी में?
३. सरकारी विद्यालयों की व्यवस्था देंखने आप कितनी बार गए, क्या आपने फ़र्जी टॉपर फर्जी शिक्षक बनाते सिस्टम के खिलाफ कुछ किया है?
४. किसानों की सुध लेते है आप, क्या आप बताएंगे आपने 5 साल में फूड प्रोसेसिंग, स्टोरेज, सॉइल टेस्टिंग जैसे अत्यावश्यक जरूरतों पर ध्यान दिया कभी?
५. क्या आपने कुढ़नी को शराब मुक्त, अपराध मुक्त बना दिया?
६. आपने अपने कौन कौन से वायदे पुरे किये, हमारे पंचायत में विधायक निधि से कितना काम कराया आपने?
७. भ्रष्टाचार मुक्त समाज के लिए आपकी जवाबदेही कितनी है जबकि सरकार के सात निश्चय के अंतर्गत सभी योजनाएं सिर्फ़ लूट का माध्यम बन गयी है. शौचालय, नलजल, सड़क, सोख्ता ईमानदारी कहाँ है? बताएंगे!
जय खरौना
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नोट- यह पोस्ट किसी अन्य दल को क्लीन चिट नहीं देता है।