A beutiful poem, just read today and can’t stop myself to share it with you. Hope you will like.
ये जज्बात और वो एहसास की बातें ,
समझ नही आती मुझे ये एहतियात की बातें
जी तो मिलने का उसका करता नही
वो फकत ही करता है हालात की बातें
में रो दू तो आंख से खून टपक पड़े ,
कलेजे में पोशीदा है कुछ जज्बात की बातें
कुछ न करो इकरार सामने तो बस आ जाओ ,
चेहरे भी बोलते है कुछ राज़ की बातें
रूह़े ख्याल में अब कोई नज़र नही नज़ारा नही
कल के मुकाम पे खडी है कुछ आज की बाते ,
इस मुल्क की तकदीर ,जुबा खामोश है
कोई तो करे इन लीडरो से सवालात की बातें ,
इधर के दर्दे हाल का किसी को गुमा नही
उनका जिक्र भी है, सब खास की बातें ,
डरता हूँ लिखने में इस दौर की सच्चाई ,
लोग कहेंगे करता है बस फसाद की बातें ,
-सुनील आर्या
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